healthy loving and untold story सेहत से जुडी परेशानी हाल

 

 हाल के दिनों में दुनिया भर में तेजी से बड़ी चिंताओं  में  से एक है ,शारीरिक स्वस्थ है हर कोई जीबन की कूर बास्तबिक के प्रति जागृत हो गया हैकि शारीरिक स्वस्थ ही बुनयादी जरूरत है ,और इसे अब हर कोई अनदेखा नहीं करना चाहता। 

हमारा सरीर एक भौतिक दुनिया हे उस मिनिट का प्रतिनिधित्ब करते है जब आप अपने कमरे में है आपकी आदतों के बारे में लोग बहुत कुछ बताते  है, और हम अपनी आदतों के बारे में खुद भी बता सकते है कि आप अपने बारे में क्या सोचते है आपका सरीर कोई देख सकता हे और  बता सकता हे कि आप अपने शरीर का  दुरूपयोग करते हे या आप अपने सरीर की देखभाल करते है। 


सवास्थ  एक महान एहसास है


यहाँ महान स्वस्थ और जीबन सकती का आनंद लिए बिना एक सरल सत्य हे कि दुनिया में सभी धन का कभी आनंद नहीं लिया जा सकता है जब तक आप स्वस्थ ठीक अष्ट पुस्ट न हो। 

मानब प्रकति के बारे में सबसे दुखद बात यह हे कि लोग सवास्थ पर  तभी धियान देना चाहते हे जब उन्हें पता चले कि मधुमेह जैसी किसी आपकछिय बीमारी के लक्छण है या जब उन्हें हल्का  दिल का दौरा न पड़े बह अपने स्वस्त को गंभीर रुप से लेते ही नहीं है। 


मानब शरीर पबित्र 


हमारे मानब सरीर को सबसे पबित्र माना जाता है। हमारा शरीर एक मंदिर कि तरह पबित्र होता है।  हलाकि हम बौद्धिक रूप से जानते है कि हम इस मंदिर के साथ बहुत अच्छे से ब्योहार नहीं करते है। 

देखभाल शुरू कैसे करें 

हम अक्सर देखभाल कैसे करते  है ,हम फिटनिस की और ज्यादा धियान देते है ,और हम मान लेते हे की सरीर कि देखभाल कर रहे है। 

इन  दिनों अधिकांश फिटनेस के बारे में बात करते हे और उन्हें लगता है हम बास्तब में सवास्थ के बारे में  सोच रहे है। में बहुत अच्छी तरह से बताना चाहता हु कि फिटनेस और सवास्थ के बीच में बहुत बड़ा अंतर् है 


क्या अंतर हे बो 

फिटनेस एक एथिलीट गतिबिधि करने कि शाररिक छमता है।  सवास्थ हालाकि  रूपों में परिभासित किया गया है। जहा सरीर कि सभी   रूप तंत्रिका पेसी ,कंकाल ,परिचंचलन ,पाचन लसिका संबंधी  हार्मोनल आदि, यह स्पष्ट  तरीके  से काम कर रही है ,यदि आप सब्द कोस में देखते हे तो इसे एक शब्द कोस  में  खोल सकते है। 

एक चिकित्सा सबदकोस में कहा गया है कि सवास्थ कि कोई परिभाषा नहीं है। 





ऊर्जा के प्रबाह के कारण हम हर दिन अनुभब करते हे कि जब ऊर्जा के प्रभाब  में बाधा होती है हम अपने सरीर कि सहजता खोने लगते है। और इसी तरह से रोग हड़ताल करने लगते है।

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